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बुधवार, 30 मार्च 2016

क़सक

Kasak in Hindi

"बाबा ! अगर मैं मर गई, तो इन दहेज़ के लालचियों को सजा जरूर दिलवाना। मेरी लाश को सफ़ेद कफ़न में ओढ़ाना। मैं अब किसी की सुहागन नहीं हूँ। मैं एक विधवा हूँ।"

प्रेमा की लिखी बातें पढ़कर पिता की आँखें नम  हो गईं। दिल में बस यही कसक रह गई  थी कि काश ! उस रात   फोन उठाया होता तो, प्रेमा आज अपने बाबा के साथ होती।

 प्रेमा अपने पिता की लाडली बेटी थी,जैसे  हर बेटी अपने पिता के जीवन का प्यारा हिस्सा होती है। प्रेमा की  माँ का स्वर्गवास तभी हो गया था,जब वह 4 वर्ष की थी।  वह अपने पिता से माँ और बाबा दोनों का प्यार पाती थी। प्रेमा के बाबा ने उसे कभी भी माँ की कमी महसूस नहीं होने दी। अब प्रेमा ग्रैजुएट हो गई थी। प्रेमा की शादी की चिंता उसके बाबा को सताने लगी, मगर प्रेमा और पढ़ना चाहती थी। बाबा के कहने पर वो शादी के लिए राजी हो गई । शादी की बात चलते ही, प्रेमा बहुत उदास रहने लगी थी। उसे अपने बाबा की चिंता थी कि  उसकी शादी के बाद उनका ख्याल कौन रखेगा ?

सोमवार, 28 मार्च 2016

तनाव से मुक्ति कैसे पाएँ ?

How to Remain Tension Free ?

तनाव हम सभी के जीवन का अभिन्न अंग बनता जा रहा  है। कभी -कभी हम इसकी  गिरफ्त में इतनी ज्यादा आ जातें हैं ,जो  हमारे लिए हर  तरह से नुकसानदायक होता है। कई बार तो हमें ये ज्ञात भी नहीं हो  पाता  है कि  हमें तनाव है। इसलिए इसे समझकर इससे निजात पाना बहुत जरुरी  है। नीचे तनाव दूर करने के कुछ नायब तरीकें है, जो तनाव की स्थिति को काबू में करने  व  उसको दूर करने में सहायक सिद्ध होंगे -

-आप अपने विचारों का मूल्यांकन करें, इससे आपकी चीजें साफ और स्पष्ट होंगी। आपको अपने लक्ष्यों को पानें व साफ  देखने में मदद मिलेगी।

-समस्याओं के बारें में जानना ही काफी नहीं है ,जरुरी यह भी है कि  सही व साइंटिफ़िक तरीके से समस्या को समझ कर उसे दूर किया जाय।

शुक्रवार, 25 मार्च 2016

सकारात्मक सोच

Sakaratmak Soch in Hindi

आजकल जहाँ कही भी देखिये, लोगों में एक बात सबसे कॉमन  रूप से देखने को मिल जाती है और वो है कि -- दूसरों में दोष निकालना। चाहे वह व्यक्ति किसी भी उम्र का क्यों न हो, दूसरों पर  दोषारोपण करने की आदत सभी की हो गई है। हमें दूसरों में दोष ही दिखाई देता है और उनकी कमी का पता चलते ही हम उसका मजाक बनाने से भी नहीं चूकते हैं। ऐसी भावना  हमारे मन में क्यों आती है ? क्या कोई व्यक्ति सर्वगुणसम्पन्न  होता है ? सभी में एक न एक कमी अवश्य ही होती है। 

जब किसी बच्चे का जन्म होता है, तो वह सिर्फ खाना ,रोना और नित्य कर्म को ही  जानता है। मगर दुनिया में आँख खोलने के बाद माता -पिता और समाज की सहायता के द्वारा ही जीवन जीने के गुणों और व्यवहारों को सीखता है। फिर हम किसी व्यक्ति का  दोषारोपण  कैसे करे सकते है, जिसको हमने खुद ही साँचे में ढाल  कर निकाला है। अगर किसी में कोई दोष है, तो उस पर हँसने वालों की कोई कमी नहीं है। और जिसका मजाक बनाया जाता है, उसके मन पर क्या बीतती है इसके बारे में कोई सोचता तक नहीं है। अगर हम एक बार खुद के अंदर झांक कर देखते हैं तो क्या हमारा दिल हमें सबसे बेस्ट मनाता है ? ये जवाब हम खुद से नहीं पूछ सकते हैं, क्योंकि खुद की खामियों को स्वीकारनें के लिए बहुत बड़े जिगर की जरुरत होती है, जो सभी में नहीं होता है।  मगर जो खुद की कमियों को स्वीकारतें है, वह ही  उसको दूर करने में सफल भी होतें हैं।

बुधवार, 23 मार्च 2016

होली है !

Holi Hai in Hindi


"एक नई दिशा !" की तरफ से आप सभी मित्रों को होली की हार्दिक शुभकामनाएँ !





Image-Google

मंगलवार, 22 मार्च 2016

आकर्षण

Aakarshan in Hindi

हर व्यक्ति जीवन में उम्र के कितने ही दौर से गुजरता है। उसकी विचारधारा में परिवर्तन आता रहता है ,और उसकी मनःस्थिति  हमेशा बदलती रहती है। बचपन, सभी चिंताओं से मुक्त, जवानी, मस्ती भरा जीवन व वृद्धावस्था में, हमारे विचार व व्यवहार में स्वतः ही गंभीरता व शालीनता आ जाती है। आज मैं उम्र की उस पड़ाव के बारे में बात करना चाहती हूँ , जो बचपन और जवानी की  उम्र के बीच आता है।  उस समय हमें अच्छे मार्ग-दर्शन की आवश्यकता होती है , क्योंकि  व्यक्ति उम्र के उस दहलीज़ पर खड़ा रहता है ,जहाँ पर उसे किसी प्रकार की रोक-टोक नहीं भाती । वह अपनी मर्जी के अनुसार जीवन जीना चाहता है और इस उम्र में माता-पिता के मित्रवत सम्बन्ध की सबसे ज्यादे आवश्यक्ता पड़ती है।

इस उम्र के दौरान ,बच्चों में अक्सर किसी व्यक्ति को लेकर आकर्षण उत्पन्न होना वाजिब है।  ऐसा शारीरिक रूप से परिवर्तन की वजह से होता है। उस समय हमें जरूरत है ,अपने बच्चों को समझने की , न कि अपनी बातों को उन पर जोर-जबरदस्ती  से थोपने की। ऐसा करने से वो आक्रामक हो सकते हैं और ऐसा व्यक्तित्व अपना सकते हैं, जो उनके भविष्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। उस समय एक माँ का उत्तरदायित्व सबसे ज्यादा हो जाता है कि वो अपने बच्चे के साथ मित्रवत सम्बन्ध बनाये रखे ताकि बच्चा अपने दिल की हर छोटी -बड़ी बात अपनी माँ से शेयर करे।