ऐसा हमारे साथ अक्सर होता है कि हम सामने वाले की कही बातों को मन से लगा लेते हैं और वो बातें हमारे मन पर इस प्रकार हावी हो जाती हैं कि उनसे बाहर निकल पाना हमारे लिए बहुत मुश्किल हो जाता है। मैंने भी अपनी इसी कमजोरी के कारण न जाने कितने वर्षों तक खुद से संघर्ष किया है मगर आज मैं लोगों के विचारों से खुद के मन को आहत नहीं होने देती हूँ।
जब भी कोई ऐसे व्यक्ति का विचार जो मेरे मन को दुखी करता है तो मैं स्वतः ही उससे बाहर निकलने का प्रयास करती हूँ और मैं उसमे कामयाब भी हो जाती हूँ। सच मानिये मेरे पास ऐसा कोई भी नहीं है, जिसके साथ मैं अपनी परेशानियों को बाँट सकूँ। मगर मैंने जीवन से सीखा है कि जब भी बुरे विचार हावी हो तो उनको तुरंत मन से झटक देना चाहिए और नकारात्मक विचार वाले लोगों से दूरी बनाकर रखना चाहिए। ऐसा सभी के साथ होता होगा। जब हमें कोई दिल को चुभने वाली बात कहता है तो हमारा मन उदास हो जाता है।
हम दिन रात बस इसी सोच में डूबे रहते है कि उसने ऐसा क्यों कहा ? उसने वैसा क्यों कहा ? पर मेरे प्यारे दोस्तों ! हम किसी की जुबान व सोच पर तो लगाम नहीं लगा सकते हैं पर उन विचारों से खुद के मन को दुखी होने से जरूर बचा सकते हैं। क्या आप इस बात को समझते है कि जो व्यक्ति अपनी बातों से आपको दुःख पहुंचता है, उसकी नीयत ही आपकी मुस्कराहट को छीनना है।