असफलता ! क्या होती है ये ? हम सभी के साथ होता है, कभी न कभी हमने इसका मुख जरूर देखा होगा। तो क्या हमें असफल होने के बाद रूक जाना चाहिए ? जिस कार्य में सफलता ना मिले, उसे छोड़ देना चाहिए या टूट कर मन को दुःखी कर उस काम को छोड़ देना चाहिए ? क्या करना चाहिए ? क्या ठीक होगा ? कौन देगा हमारे इन प्रश्नों का उत्तर ? ये बात कभी आपने सोची है।
एक बार मैं किसी बात से नाराज होकर उदास बैठी थी, बस लगता था कि सब कुछ खतम सा हो गया, कुछ भी ठीक नहीं हो पायेगा, पर एक रोशनी की छोटी-सी किरण ने मेरी लाइफ में उजाला करने का काम किया और ये रोशनी आप सभी के जीवन तक पहुँचे, मैं यही चाहती हूँ - और ये सब हुआ एक छोटी सी पाॅजीटिव स्टोरी के माध्यम से, जो मैं आपके साथ शेयर करना चाहती हूँ।
एक बार एक कपड़ों के व्यापारी को अपने कारोबार में बहुत ज्यादा घाटा सहना पड़ा। किस्मत की ऐसी मार पड़ी कि उसके मिल में आग लग गई। सब कुछ जलकर खाक हो गया। रातों-रात करोड़ों का करोड़पति कहलाने वाला व्यापारी रूपये की मद्द के लिए दर-दर भटकने लगा। उसे कुछ भी रास्ता नजर नहीं आ रहा था।