अभी तक आप ने पढ़ा - आखिरी पड़ाव भाग एक ।
अब आगे ...
आपरेशन के लिए 10,000 डाॅलर की जरूरत है, ऐसी बात सुन सोनल ने अपने पति से कहा कि शुक्र है ! हमने बुआ का इन्श्योरेंस करवा लिया था, तो उसके पति ने उसे बताया कि बच्चे की भाग-दौड़ में उसके दिमाग से इन्श्योरेंस कराने की बात ही निकल गयी।
पर अब दोनों सोचने लगे कि 10,000 डाॅलर का इन्तजाम कहाँ से करें ? सोनल के पति ने बहुत जगह डाॅक्टरों से बात की, फिर एक अच्छी खबर मिली कि कोई डाॅक्टर 3000 डाॅलर में रानो के पैर का आपरेशन करने को तैयार था।
रानो का आपरेशन हो गया। रानो पूरी तरह स्वस्थ्य होने के बाद घर आ गई और जब उसने अपने पैर जमीन पर रखा तो उसके पैर सीधे पड़ने की बजाय एक पैर टेढ़ा पड़ रहा था। रानो ने अपना सर पकड़ लिया। वो समझ गई थी कि वो अब अपाहिज हो गई है, उसके आँसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। पर सोनल ने कहा- बुआ जी ! अब आप चल सकती हैं। ये क्या कम बड़ी बात है ! आप फिक्र ना करें। हम उसी डाॅक्टर से बात करते हैं।
सोनल उसे लेकर डाॅक्टर के पास गई तो डाॅक्टर ने बताया- लगता है कि हड्डी गलत तरफ से जुड़ गई है, इसका फिर से आपरेशन करके सही तरीके से लगाना पड़ेगा और इस आपरेशन का खर्च 3000 डाॅलर आयेगा।
डाॅक्टर की इस बात को सुनकर सोनल ने रानो से कहा- बुआ जी ! इतने पैसे हमारे पास नहीं हैं। हम खर्च नहीं कर सकते। आप वापस इंडिया चले जाईये, वहाँ आप अपना आपरेशन करा लीजियेगा। रानो यह सुनकर गहन चिन्ता में चली गयी। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। उसने सोच ही लिया था कि अब उसकी जिन्दगी बस ऐसे ही चलेगी।
तभी नर्स ने आवाज दी- मैडम ! डाॅक्टर आपसे मिलना चाहते हैं, वो आपका इन्तजार कर रहे हैं। सोनल तुरन्त रानो को डाॅक्टर के पास ले गई। डाॅक्टर ने सोनल को बताया- कल ही एक हड्डी के स्पेश्लिस्ट डाॅक्टर पेरिस से हमारे यहाँ आये हैं। मैंने आपका केस उनसे डिस्कस किया है, वो आप से मिलना चाहते हैं।