आज मैं आप सभी से एक बहुत ही छोटी मगर बहुत ही महत्वपूर्ण भावना के बारे में बात करुँगी। ये हमारा मन बहुत ही कमाल की चीज होती है, जिसमें प्रेम, करुणा, क्रोध और ना जाने कितने प्रकार की भावनाएँ हैं। ये हमारे स्वयं की इच्छा पर निर्भर करता है हम किस प्रकार की भावनाओं का प्रयोग करते हैं।
कभी-कभी ये भावनाएँ हमारे वश में नहीं होती हैं या फिर शायद हम इनको अपने वश में नहीं रख पाते हैं। जैसे कि अगर हमारे पास एक ऐसा कैंडीज से भरा बाक्स है, जो देखनें में एक जैसे हैं पर सभी का स्वाद एक दूसरे से अलग है। अब ये हम पर निर्भर करता है कि हम कौन सी कैंडी खायें और किसे संभाल कर रखें ?
प्रेम और करुणा से हम दूसरों को सुख और खुशी देते हैं, पर क्रोध हमारे जीवन की वो कैंडी है, जिसमें बस एक ही स्वाद है- कड़वा, पर करेली व नीम जैसा नहीं। करेली तो स्वास्थ्यवर्धक है और नीम आरोग्य औषधी, पर क्रोध की कड़वाहत ऐसी है, जो कि जहाँ से जन्म लेती है, उसे तो कष्ट देती ही है, साथ ही साथ, आस-पास के वातावरण को भी कड़वाहट से भर देती है। जाने-अनजाने हमें खुद भी पता नहीं चलता कि हम छोटी-छोटी बातों पर कितना क्रोध करने लगे हैं।