आज, क्यों ना हम सभी अपने हाथों में खींची हुई लकीरों की बात करें। हमारे हाथों में जन्म से न जाने कितनी छोटी -बड़ी, टेढ़ी-सीधी रेखाएँ होती हैं और जैसे -जैसे हम बड़े होते जाते हैं, इन रेखाओं की संख्या में भी बढ़ोतरी होती चली जाती है। आखिर ये रेखाएँ हमारे हाथ में क्यों होती हैं ? क्या इनका हमारे जीवन से सचमुच कोई संबंध होता है ? बहुत ही विचारणीय प्रश्न है ये। इन रेखाओं के द्वारा क्या हमारा भाग्य निर्धारित होता है ? क्या ये हमारे किस्मत का फैसला करतीं हैं ? हम सभी के मन में हाथ की इन रेखाओं से जुड़े ना जाने कैसे -कैसे प्रश्न होते हैं ? पर आज -तक हमें इसका कोई उत्तर नहीं मिल सका है।
अपने हाथ की रेखा को जानने, समझने तथा इससे जुड़ी अपने किस्मत को जानने के लिए हम ना जाने कितने ज्योतिषियों -पंडितों की जेब को गर्म करते हैं और वो हमें तरह-तरह के उपायों को बता कर हमारी मुश्किलों को और ज्यादा बढ़ाते हैं। ना जाने कितने पूजा-पाठ, मंत्र-तंत्र ,व्रत-अनुष्ठान हमसे करवाते हैं। पर क्या इन कार्यों को करने से हमें उचित समाधान मिल जाता है ? क्या इससे हमारे हाथ की लकीरें विपरीत दिशा में बदल कर हमें सौभाग्यशाली बना देंगी ? हमारी सभी परेशानियों को दूर कर देंगी ?