"एक नई दिशा " की तरफ से आप सभी मित्रों को ईद की हार्दिक शुभकामनाएँ !
बुधवार, 6 जुलाई 2016
सोमवार, 4 जुलाई 2016
डायरी के पन्नों से-3
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बहुत दिन हो गए हमने अपने स्वास्थ्य के बारे में सोचा भी नहीं। हम सभी कार्यों को तो भली भाति भाग -दौड़ कर निपटा लेते हैं पर हमें घर के सभी सदस्यों की देखभाल करने में और खुद के बारे में सोचने की फुर्सत ही नहीं मिल पाती है। और जब हमारे आराम का समय आता है तो हमें पता चलता है कि हमें सर्दी ,सर दर्द ,जुकाम व ना जाने कितनी मौसम की बीमारियों ने जकड़ रखा है। अगर ऐसे समय अगर घर पर संयोगवश दवा भी खत्म हो गई हों तो फिर क्या करें ? मैं आपके ऐसी ही मुश्किलों को दूर करने के लिए कुछ घरेलू टिप्स ले कर आई हूँ जिनकी डिस्पेंसरी तो खुद हमारी स्वयं की किचन होती है, जिनसे न केवल स्थाई रूप से आराम मिल सकता है वरन हमारी कठिन व जटिल परिस्थिति में हमारे मददगार जरूर साबित हो सकते हैं -
तो यह हैं कुछ घरेलू नुस्खे ....
-कैसी भी खाँसी आने पर अदरक के छोटे -छोटे टुकड़े देशी घी में पकाकर हल्का गर्म ही खाने से आराम मिल जाता है।
-जुकाम होने पर गर्म दूध में थोड़ी सी देशी घी व छुहारा उबालकर इसमें थोड़ी इलाइची ,केशर मिलकर सेवन करने से जुकाम ठीक हो।
- यदि गर्म दूध में थोड़ी हल्दी पकाकर हल्का गर्म पिया जय तो मौसमी बिमारियों से काफी राहत मिल जाती है।
-गुड़ व काली मिर्च को थोड़े पानी में पकाकर चाय की तरह पिया जाय तो सर्दी -जुकाम ठीक हो जाता है।
शुक्रवार, 1 जुलाई 2016
यारियाँ
दोस्ती हमारे जीवन में बनने वाले उन सभी रिश्तों में सबसे अनूठा, एक अलग प्रकार की अनुभूति कराने वाला रिश्ता होता है। सभी रिश्ते तो हमें बने बनाए मिल जाते हैं ,पर हम दोस्ती तो स्वयं अपने मन पसंद, दिल को अच्छा लगने वाले साथी से ही करते हैं। दोस्ती एक ऐसा रिश्ता होता है, जिसमें ऊंच -नीच ,जात -पात ,गरीबी -अमीरी नहीं होती। एक सच्चा मित्र मिल जाने के बाद जीवन में आने वाली ना जाने कितनी मुश्किलों का समाधान मिलता चला जाता है।
सबसे अनोखी होती है हमारे बचपन की दोस्ती। इसके क्या कहने ! इसमें हर छोटी सी छोटी चीज शेयर करने का अपना अलग ही आनंद होता है। लंच में माँ ने कितनी भी टेस्टी चीज खाने को क्यों ना दीं हों, पर दोस्त के साथ निवाला खाये बिना सब फीका लगता है। वो हमारी पानी की बॉटल, जो हम सभी दोस्तों के ना जाने कितनी बार होठों से लगकर हमारी प्यास बुझाया करती थी, ना जाने उस बॉटल में ऐसा क्या था जो , फिर भी जूठी नहीं होती थी।