जीवन में हम सभी रोज किसी न किसी उलझनों से घिरे रहते हैं। कुछ उलझन तो बिन बुलाये आ जाते हैं ,और कुछ हमारे द्वारा निमंत्रण देने पर आते हैं, जिसके लिए हम खुद जिम्मेदार होते हैं।
एक वो भी दौर हुआ करता था, जब शादी हो जाने के बाद पति -पत्नी एक दूसरे के ऊपर अपना सारा जीवन न्योछावर कर देते थे। एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करते थे व एक दूसरे में अपनी पूरी दुनियाँ समझकर जीवन जीते चले जाते थे। हमने कभी भी ये नहीं सुना होगा कि दादा -दादी में नहीं निभी तो उन लोगों ने तलाक ले लिया। या फिर ताऊ जी, जो ज्यादा बड़ी माँ पर गुस्सा करते थे, तो ताई जी ने अलग होने का निर्णय ले लिया। ऐसा तो हमने अपने माता -पिता के साथ भी नहीं देखा। पर आजकल की पीढ़ी ,जो जरा सी परेशानी की हवा क्या चली एक दूसरे का मुँह तक नहीं देखना चाहते। थोड़ी सी ऊंच -नीच होने पर उनको एक मिनट भी नहीं लगता- अलग होने का फैसला लेने में। सच कितनी मॉडर्न हो गई है आज कल की पीढ़ी !