आज कल हमारे देश ने कितनी तरक्की कर ली है। आज के बच्चे चाँद को मामा नहीं बल्कि एक ग्रह मानते हैं। विज्ञान की दुनियाँ में हमने न जाने कितनी ही उपलब्धियाँ हासिल कर ली हैं। फिर भी हमारे देश में ऐसे न जाने कितने लोग देखने को मिल जायेंगे, जो अभी तक अंधविश्वास के जाल में फसें हुएं हैं। इस को मानने वाले लोगो को अन्धविश्वास ने इतना जकड़ रखा है कि वो इससे बाहर आना ही नहीं चाहते हैं। इस अंधविश्वास की परम्परा को कायम रखने में कुछ ढोंगी लोगों का कार्य होता है, जो इन लोगों को ठग कर पैसा कमाते हैं। आज मैं आप के आमने एक ऐसे ही अंधविश्वासी परिवार की कहानी ले कर आई हूँ।
वाइट शर्ट , ब्लैक पैंट और लाल टाई पहन कर तैयार होकर जय कमरे से बाहर आया और उसने माँ -बाबूजी का आशिर्वाद लिया। माँ ने उसे दही खिलाई और " बेसट आफ पलक "कह दिया। जय ने माँ को राईट करते हुए बोला," माँ !,"बेस्ट ऑफ लक। " " माँ ने कहा,"हाँ !अब जा। वरना आज पहले दिन ही देर न हो जाए।" जय का ऑफिस में पहला दिन था। सभी से हाय हैलो हुई। फिर जय ने देखा कि सामने से सीमा आ रही है। सीमा,और कोई नहीं, जय के कॉलेज की पुरानी दोस्त थी, जिसे दिल-ही-दिल में वो चाहता था। सीमा भी उसको देख कर बहुत खुश हुई। दोनों के बीच बातें शुरू हो गईं। सीमा भी जय को पसंद करने लगी थी।