Sorry .. एक छोटा शब्द है , जिसका प्रयोग हर कोई जहाँ -तहाँ करता रहता है। सब की जुबान पर 'सॉरी' जैसे रखा ही रहता है। यह किसी हाजमे की गोली कम नहीं है ,जिसे हम ज्यादा खाना खा लेने के बाद प्रयोग करते हैं, ठीक वैसे ही हम जब किसी से टकरा जाते हैं या जब हमसे किसी को कोई तकलीफ पहुँचती है, तो 'सॉरी ' शब्द का प्रयोग करते हैं। हम अपने गलत कार्यों और कटु शब्दों को इस तरह भुला देते हैं, जैसे की यह चीजें हुई ही न हो और वो भी 'सॉरी ' शब्द का इस्तेमाल कर के। यह शब्द किसी की भी बड़ी से बड़ी गलती की भरपाई कर देता है। यह मेरे ही नहीं आप सभी के मन में आता होगा कि 'सॉरी 'तो बोल दिया अब क्या करूँ ? और आगे बाद जाते हैं। उन्हें अपनी गलती पर पश्चाताप नहीं होता। क्या किसी को कष्ट पहुंचा देने के बाद 'सॉरी' के पांच लेटर काफी हैं ?
मैं जब कभी घर से बहार निकलती हूँ , तब देखती हूँ कि भागम -भाग भरी जिंदगी मैं किसी के पास समय नहीं है कि थोड़ा भी इन्तेजार कर सके। आजकल की नई पीढ़ी, जिनके माता -पिता ने सुविधाएँ तो अपने बच्चों को दे रखी हैं यथा 12 -13 वर्ष की उम्र से ही बच्चे दो पहिया वाहन को जैसे-तैसे चलाते हैं जैसे उनके माता-पिता ने उनको इन सड़कों को भी उन्हें गिफ़्ट कर दिया है। अगर उनके इसी हरकत से किसी को चोट पहुँचती है , तो वो 'सॉरी' बोलकर आगे निकल जाते हैं।