अपनी बुद्धि का इस्तेमाल न करके अपने कर्म को परिणाम में परिणत न करने वाले व्यक्ति खुद अपने साथ न्याय नहीं करते। हम सदैव ही दूसरों से अपेक्षायें करते रहतें हैं कि दूसरा व्यक्ति हमारा सम्मान नहीं करता। पर कभी हमने खुद के अंतर्मन में झाँक कर कभी देखा है कि क्या हम खुद के साथ हम न्याय करते हैं ? हमें सबसे पहले खुद का सम्मान करना सीखना होगा और बाद में हम दूसरें लोगों से उम्मीद करेंगे।
बहुत से ऐसे लोग हैं, जो दूसरों की गलत बातों को जानते हुए भी सहन करते जाते हैं। उनका विरोध नहीं करते। खुद की गलती न होने पर भी खुद को कुसूरवार समझने लगते हैं। और बस मन में सोचते रहते हैं कि कोई क्यों मेरा सम्मान नहीं करता ? मैं कहती हूँ कि जब तक उस व्यक्ति को अहसास नहीं दिलायेंगे तो वो अपनी गलतियों का अहसास कैसे कर पायेगा ? कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो सम्मान पाने योग्य कार्य कभी नहीं करते मगर सम्मान पाने के इक्षुक होते हैं। ऐसे लोगो से मैं कहना चाहती हूँ कि उन दुर्व्यवहारों और दुष्विचारों को खुद से दूर रखिये, जो हमारे सुन्दर व्यक्तित्व को दूषित करते हैं।