हर व्यक्ति का यह कर्तव्य होता है कि वो अपने आत्मसम्मान की रक्षा स्वयं करे। जब कोई व्यक्ति स्वयं का सम्मान नहीं करता है, तो उसे दूसरों से सम्मान की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए। जब शादी होती है, तो लड़का -लड़की पति-पत्नी के दांपत्य सूत्र में बांधे जाते हैं। फिर दोनों का उत्तरदायित्व हो जाता है कि एक दूसरे के सम्मान की रक्षा करें। ससुराल में पति का दायित्व होता है, पत्नी का ख्याल रखना। क्योंकि लड़की के माता-पिता बड़े विश्वास के साथ अपनी बेटी का हाथ उसे देते है और उन्हें ये भरोसा होता है कि उनके जिगर के टुकड़े का जीवन अब सुरक्षित हाथों में है। मगर कुछ ऐसी भी घटनाएँ सामने आ जाती हैं, जो हमारे सामने जीवन की एक नई तस्वीर ले आती है, जिनको हम कभी स्वीकारना नहीं चाहते।
आज की कहानी एक ऐसे ही साधारण सी लड़की की कहानी है, जो एक छोटे से गाँव में जनमी थी। उसका नाम था, सुकन्या। सुकन्या अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी। उसके माता-पिता काफी संपन्न थे। उसने अपने जीवन में दुःख और परेशानियों का कभी अनुभव नहीं किया था। अब सुकन्या के बड़े होने पर उसके माता-पिता अपनी बेटी की शादी करने के बारे में सोच ही रहे थे, तभी शहर से एक बड़े ही संपन्न और पढ़े-लिखे घर से बेटी के लिए रिश्ता आया, जो सभी को पसंद आया। शादी के बाद सुकन्या ने जैसे ही अपने ससुराल में कदम रखे , उस घर में खुशियों ने जैसे दस्तक ही दे दी। सुकन्या का स्वभाव बहुत ही चुलबुला था। उसने अपने स्वभाव से सभी का दिल जीत लिया था और वह घर के सभी कामों में इतनी निपुण थी कि कोई तारीफ किये बिना रह नहीं पाता था।सुकन्या अपने पति सुरेश से बहुत प्यार करती थी और उन दोनों के बीच बहुत अच्छा ताल-मेल था। सुरेश के काफी दोस्त थे, जो शादी में आये थे। मगर उन सभी में दीपक सबसे पुराना दोस्त था ,जो परिवार के लोगों से भी जुड़ा हुआ था।