जब भी किसी परिवार में लड़की का जन्म होता है, तो परिवार के सभी सदस्य उदास हो जाते हैं। उनके चेहरे ऐसे उतरे होते हैं, जैसे कि रुपयों से भरा बैग किसी ने उनसे छीन लिया हो। और इसके विपरीत यदि घर में बेटे का जन्म होता है, तो इस बात की खुशी सभी के चेहरे पर झलकती है। सब खुश हो जाते हैं। कैसा अन्याय है ये ! कैसी सोच है ये ! एक ही गर्भ से जन्म लिए हुए एक माता के दो संतान के प्रति लोगो के विचार इतने अलग कैसे हो सकते हैं ?
बेटियाँ ,एक ऐसा अमूल्य वरदान होती हैं, जो हमें अच्छे कर्म करने के फलस्वरूप प्राप्त होती हैं। सभी को ईश्वर इतनी जिम्मेदारी के काबिल नहीं समझता और जो उनके योग्य होते हैं, उनको ही ये वरदान प्राप्त होते हैं। बेटियां बचपन से ही माँ -बाप का सहारा बन कर रहती हैं और अपने गुण और माता - पिता से प्राप्त संस्कारों को लेकर अपने ससुराल जातीं हैं और वहाँ के परिवार को भी सहेजती ,संभालती हैं।