हर इन्सान में एक विशेष गुण होते हैं, कुछ उनसे परिचित होते हैं, तो कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो अपने भीतर के गुणों से एकदम अनजान होते हैं। अगर उन गुणों की पहचान कर उनको निखार दिया जाये, तो वो गुण उन्हें उन्नति और प्रसिद्धि के शिखर पर पहुँचा जाते हैं।
हर व्यक्ति की एक अलग विशेषता होती है। कोई दयालु होता है तो कोई निर्भीक और कोई किसी की मदद कर खुद में संतुष्टी का अनुभव करता है, तो किसी में अथाह धैर्य होता है।
इस समय जब चारों ओर एक भयावह वातावरण है, नकारात्मकता फैली हुई है, ऐसे में हमें एक-दूसरे को भावनात्मक रूप से मजबूत बनाने की प्रेरणा प्रस्तुत करनी चाहिए ना कि किसी की कमियों को दिखाकर उसकी निंदा कर, उसे दुःखी करना चाहिए।
किसी व्यक्ति में कमी निकालना, उस पर तंज कसना बहुत आसान होता है और कुछ लोगों की आदत में ये शामिल भी हो चुका है, पर मैं आप सभी से एक बात कहना चाहूँगी कि जब भी हम किसी की कमी को उजागर करते हैं या किसी की निन्दा करते हैं, तो हमारे चारों तरफ एक अन्जाना नकारात्मक वातावरण व्याप्त हो जाता है और हमारा मन भी अशान्ति व तनाव से भर जाता है।
वहीं इसके विपरीत हम जब किसी की तारीफ करते हैं, किसी को कुछ अच्छा करने के लिए प्रेरित करते हैं, तो अपने चारों तरफ एक सकारात्मक शक्ति का वातावरण महसूस करते हैं और ये वातावरण हमारे मन को काफी समय तक शान्त, सन्तुष्ट व प्रसन्न रखने में हमारी सहायता करता है।
मैं यह नहीं कहती कि किसी की कमियों को बताना गलत है, ये कोई बुरी बात नहीं है, पर यदि कमी निकालना हो तो उस गुरू की तरह निकालें जो अपने शिष्य के गुणों को निखारने के लिए उसकी कमी को बताते हैं, जिससे कि वो शिष्य और भी बेहतर बन सके। कभी-कभी कमी निकालने वाले को गुरू की दृष्टि से देख कर पाॅजिटिव तरीके से खुद को बेहतर बनायें।
इसका दो फायदा होगा- एक तो आपके गुणों में निखार आयेगा, दूसरा आपके भीतर कमी निकालने वाले व्यक्ति के प्रति नकारात्मक भावना से छुटकारा मिल जायेगा। ये दृष्टि आप अपनाकर देखिये, फिर आपके भीतर एक नयी सकारात्मक ऊर्जा का संचार आप खुद ही महसूस करेंगे।
एक बार भगवान बुद्ध के पास एक व्यक्ति आया। उसने बहुत दुःखी मन से भगवान बुद्ध से अपने दुःखी होने की वजह बताई। वो बोला- प्रभु ! सभी मेरी निन्दा करते हैं, क्या छोटे, क्या बड़े ! क्या अपने, क्या पराये ! मैं बहुत दुःखी हूँ । मैं जीना नहीं चाहता। भगवान बुद्ध कुछ बोले नहीं, बस उस व्यक्ति की तरफ देख कर मुस्कुराये। तो उस व्यक्ति ने कहा- प्रभु ! आप भी मेरी परेशानी सुन मुस्कुरा रहें हैं।
फिर भगवान बुद्ध ने उस व्यक्ति से कहा- मुस्कुराहट तो ईश्वर की वो अमूल्य भेंट है, जो कभी किसी को दुःखी नहीं कर सकती है। ये हमारे अपने विचार व मनोदशा की अभिव्यक्ति है कि हम इस ऊर्जा को अपने भीतर कैसे संचारित करते हैं। शिशु की मुस्कुराहट हमें सुकून व प्रसन्नता से भर देती है, वहीं दूसरी तरफ ऐसे व्यक्ति की मुस्कुराहट, जिसे हम पसन्द नहीं करते, हमें तनाव व दुःख पहुँचा जाती है। अतः मेरे कहने का तात्पर्य बस इतना ही है कि हमें अपनी मनोदशा को पहचानना है और जब हम खुद की सोच पर नियन्त्रण रखकर साकारात्मक भाव से मन को हमेशा संचारित होने देंगे, तो वही मुस्कुुराहट, चाहे किसी भी व्यक्ति की क्यों न हो हमें संतोष व तनावमुक्त करेगी।
और इस प्रकार वह व्यक्ति अपने चेेहरे पर सन्तोष भरी मुस्कान लिए भगवान बुद्ध के द्वार से लौटा।
इस संदेश के माध्यम से मैं बस आप सभी से यही कहना चाहती हूँ कि कोई हमारे मन को तभी आहत कर सकता है, जब हमारे मन पर, हमारे अपने मनोभाव पर हमारा खुद का कँट्रोल न हो।
यदि फिर भी किसी की बात या हाव-भाव या किसी की प्रतिक्रिया आपको आहत करे तो कुछ पल ठहरें और सोंचे कि क्या मैं इतना कमजोर हूँ , जो एक छोटी सी परेशानी को जीत नहीं सकती या सकता ?
और एक ठण्डी साँस लें- पाॅजिटिव मुस्कुराहट के साथ, फिर जुट जायें अपने कार्यों में।
सच मानिये ! ऐसा करने से हम अपने मन को समझ पायेंगे और सकारात्मक वातावरण से खुद को ऊर्जावान महसूस करेंगे।
आज के लिए इतना ही..
नवरात्री पर्व की आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें !
Image:Ek_Nai_Disha_2021
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