आज घर में सुबह से ही चहल-पहल थी। आने-जाने वाले लोगों का तांता लगा था। कोने में एक बेहद सुन्दर लड़की दुल्हन की तरह सजी बैठी थी, मगर वह रो रही थी। ये आँसू विदाई के नहीं बल्कि दहेज की रकम न दे पाने और सगाई टूट जाने की वजह से थी। रानो नाम था उस प्यारी सी लड़की का, जिसके पिता से वर पक्ष के लोग अपने डाॅक्टर बेटे के ऊपर खर्च होने वाले रकम को वसूल करना चाहते थे।
वर पक्ष के चले जाने के बाद स्थिति ऐसी थी, जैसे तूफान आने के बाद बर्बाद हुए खेतों की होती है। सभी दुःखी थे। रानो अपने तीन भाइयों में सबसे बड़ी थी। दिन बीतते गये। आज इस घटना को हुए पूरे दस वर्ष बीत गये, फिर रानो के लिए कोई अच्छा रिश्ता नहीं आया, अगर आया भी तो रानो ने उसे मना कर दिया । उसने शायद अपने दुःखों से समझौता कर अपने इस जीवन को स्वीकार कर लिया था।
वर्ष बीतते गये, अब रानो उम्र के जिस पड़ाव पर आ गई थी कि उसके लिए रिश्ता आना मुमकिन नहीं था। एक-एक कर तीनों छोटे भाईयों की शादी हो गई, सभी अपने परिवार में रम गये। रानो के पिता भी चल बसे। रानो अब अपनी माँ के साथ एक-एक कर सभी भाईयों के साथ उनके घर पर रहने लगी।
बड़े भाई की बेटी की भी शादी हो गई और वो अपने पति के साथ अमेरिका चली गई और कुछ समय बाद उसके माँ बनने की खबर सभी को मिली। सभी बहुत खुश थे।
एक दिन सोनल ने अपने पिता को फोन किया और उसने अपने पिता से कहा कि बुआ को मेरे पास अमेरिका भेज दीजिये, वो सब संभाल लेंगी। आपको तो पता है न यहाँ पर किसी कामवाली या बच्चे सम्भालने वाली ‘आया’ को रखुँगी तो घण्टे का चार्ज लेगी, जिससे हमारा बजट ही बिगड़ जायेगा और अगर बुआ आ जायेगी तो वो घर व बच्चे दोनों को संभाल लेगी।
सोनल के पिता ने कहा-तुम्हारी बुआ के जोड़ों में दर्द रहता है, अगर उनको ले ही जाना है तो उनका पहले हेल्थ इन्श्योरेंस करता लो, जिससे डाॅक्टर का खर्च बच जायेगा और तुम दोनों को भी आसानी होगी।
कुछ दिनों के बाद, रानो अपनी भतीजी सोनल के पास अमेरिका पहुँच गई। सोनल ने रानो को घर के सभी काम सलीके से समझाना शुरु कर दिया, जैसे कि वह उसकी बुआ नहीं कोई ‘मेड’ हो। सोनल ने बच्चे के रूम में ही रानो के सोने का प्रबन्ध किया ताकि बच्चा होने के बाद उसका पूरा ख्याल रानो रख सके।
रानो भी सोनल के घर में पूरी जिम्मेदारी के साथ सारे कामों को करती थी। सोनल का घर भी शीशे के महल से कुछ कम नहीं था। हर तरफ काँच की दीवारें और दरवाजे, मानो ये घर नहीं बल्कि शीश-महल हो। फर्श तो इतने चिकने कि समझ कर पाँव न रखें तो कभी भी पैर फिसल जाये।
सोनल ने रानो को पहले ही हिदायत दे रखी थी कि- बुआ जी ! यहाँ पैर संभाल कर रखियेगा वरना खामखाॅ डाॅक्टरों के चक्कर लगाने पड़ेगे।
कुछ ही महीनों के बाद, सोनल को एक बेटा हुआ। सोनल ने सारे घर के साथ बच्चे की जिम्मेदारी भी अपनी बुआ के काँधे पर डाल कर सुकून से आराम करती।
दिन बीतते जा रहे थे। एक दिन रात में हमेशा की तरह बच्चे के बोतल में दूध भरने रानो किचन में जाने के लिए उठी। उसे पता नहीं था कि फर्श पर पानी गिरा था। उसने जैसे ही फर्श पर अपना पाँव रखा, उसका बैलेंस बिगड़ और वह एकाएक गिर पड़ी। उसके मुँह से चीख सुन, सोनल अपने कमरे से भागी-भागी आयी और अपनी बुआ को गिरा देख उसने अपना सिर पकड़ लिया, फिर सहारा देकर रानो को उठाया। पर रानो के पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे थे। वह दर्द से कराह रही थी।
सोनल ने अपने पति को फोन कर बुलाया और दोनों रानो को डाॅक्टर से मिलाने ले गये। वहाँ उन्हें पता चला कि रानो के बाँये पैर की हड्डी टूट गयी है और उसके पैर का आपरेशन करना पड़ेगा।
- क्रमशः
Image: Ek_Nai_Disha_2021
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