रीना आज बेहद खुश थी। वह विनोद से मिलने जा रही थी। पहले कभी उसने विनोद को नहीं देखा था। उसकी दोस्ती फेसबुक पर हुई थी। पहले जान-पहचान, फिर दोस्ती और बाद में, रीना व विनोद मन ही मन एक दूसरे को चाहने लगे थे।
रीना लाल सूट में नेट के दुपट्टे के साथ बेहद खुबसूरत दिख रही थी और उसने विनोद से सुबह 11 बजे मिलने को बुलाया था। 9 बजे से ही रीना तैयार हो कर घड़ी को देख रही थी पर समय तो बीतने का नाम ही नहीं ले रहा था। अब 11 बजने में 20 मिनट ही रह गये थे। रीना ने सोचा थोड़ा समय से पहले ही चली जाती हूँ, कहीं रास्ते में ट्रैफिक न मिले। रीना ने पर्स उठाया और अपनी स्कूटी पर निकल पड़ी।
रीना अभी थोड़ी देर ही चली थी कि उसे सामने ब्लू शर्ट में खड़ा एक नौजवान दिखाई दिया। वो नौजवान बेहद आकर्षक व्यक्तित्व वाला था, जिससे रीना न चाहते हुए भी अपनी नजर नहीं हटा पा रही थी। उसने अपनी स्कूटी रोकी और विनाद को फोन मिलाने लगी। पर आश्चर्य की बात थी, घण्टी रीना के सामने खड़े लड़के के फोन पर बजी।
रीना अब समझ चुकी थी कि यही विनोद है। विनोद भी रीना की सुन्दरता और सादगी पर मोहित हो गया। बात काॅफी से शुरू हुई पर उसकी मिठास दोनों के दिलों में समा गई।
अब दोनों किसी न किसी बहाने मिलने लगे और एक दूसरे के साथ जीवन बिताने का सपना देखने लगे। विनोद ने अपने माता-पिता से रीना को मिलवाया। विनोद के पैरेन्ट्स ने रीना को बहुत पसन्द किया। रीना ने भी विनोद को अपने मम्मी-पापा से मिलवाया। अब दोनों को शादी के लिए घरवालों की रजामन्दी मिल गई थी। अब बात कुण्डली मिलान की थी तो विनोद के घर पर रीना के माता-पिता और रीना सभी इकठ्ठा हुए।
पंडित जी ने दोनों को आशीर्वाद दिया और कुण्डली मिलान की विधा प्रारम्भ की। रीना की कुण्डली तो राजयोग बता दी पर जब विनोद की कुण्डली से मिलान कराया तो पंडित जी ने रीना का मांगलिक होना विनोद के जीवन पर भारी संकट बताया और शादी न करने की सलाह दी।
पंडित जी की बात सुन विनोद के माता-पिता ने फौरन रीना के रिश्ते को मना कर दिया और यही जवाब रीना के घर वालों का भी था। विनोद और रीना बहुत दुखी हुए। उन दोनों ने अपने-अपने माता-पिता को समझाने का बहुत प्रयत्न किया, पर दोनों को निराशा ही हाथ आई।
अब रीना और विनोद के पास एक ही रास्ता बचा था- अपनी मर्जी से शादी करना। दोनों ने कोर्ट मैरेज कर ली। अपने दोस्तों के साथ और सहयोग से उन दोनों ने अपनी नई गृहस्थी बसा ली। विनोद के दोस्तों ने एक किराये के घर का इन्तजाम करवा दिया, छोटी-मोटी जरूरतों का सामान भी ला दिया। रीना ने कुछ दिनों के बाद पास के एक प्राइमरी स्कूल में शिक्षिका की जाॅब पा कर छोटे बच्चों को शिक्षा देने का काम शुरू कर दिया।
रीना व विनोद अपनी छोटी सी गृहस्थी में बहुत खुश थे। भले ही सुविधायें कम थीं पर एक दूसरे के लिए प्यार बहुत था। कुछ ही समय बीता था कि रीना प्रेग्नेंट हो गई। अब उसका काम पर जाना बहुत कम हो पाता था। विनोद की सैलरी भी बहुत कम थी, तो दोनों के रिश्तों में तनाव आने लगा। विनोद ना चाहते हुए भी, जब जरूरतें पूरी नहीं कर पाता तो नाहक ही रीना पर चिल्ला पड़ता। रीना भी अन्दर ही अन्दर बेहद दुखी थी। रीना की माँ रीना की हालत को देख कभी-कभी दोस्तों के द्वारा मदद के रूप् में पैसे भेजती पर रीना लेने से इंकार कर देती।
एक सुबह रीना के पेट में तेज दर्द उठा। विनोद उसे नजदीक के स्वास्थ्य केन्द्र में ले गया। डाॅक्टर ने आपरेशन से बच्चा होने की बात कही और 20,000 रूपये जमा करने को कहा तो विनोद के होश उड़ गये। विनोद परेशान सा अपने दोस्तों से मदद लेकर और कुछ पैसे अपने मकान-मालकिल से उधार लिये और रीना का आपरेशन शुरू हुआ। रीना ने एक स्वस्थ बेटे को जन्म दिया। विनोद को परेशान देख उसके दोस्त ने विनोद को फोन कर सारी बात बता दी। दोनों के माता-पिता अपने नवासे के जन्म की बात सुनकर रह न सके और फौरन हास्पिटल को भागे चले आये। विनोद को परेशान देखकर उसके पिता ने ढ़ाढस बढ़ाया और सारा खर्च खुद करने की बात कही। विनोद मना करना चाहता था, पर पिता की जिद के आगे उसकी एक नहीं चली। बच्चे का मुख देख कर सभी प्रसन्न थे। रीना की सास ने रीना के सिर पर हाथ फेरकर उसे दुलारा व घर चलने को कहा। रीना ने विनोद की तरफ देखा, जैसे विनोद सब-कुछ भूलकर वापस लौटना चाहता था। रीना ने माँ के सामने मुस्कुरा कर ‘हाँ’ कह दिया और बच्चे को सीने से लगा लिया।
मैं इस कहानी के माध्यम से बस यही पूछना चाहती हूँ कि रीना और विनोद को आखिर माता-पिता के खिलाफ क्यों जाना पड़ा ? सभी परिस्थितियाँ उनके अनुकूल होते हुए भी दोनों ने ऐसा कदम क्यों उठाया- एक गलतफहमी की वजह से ! जो कुण्डली मिलान के समय हुई ? ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं होता है, जो किसी के भविष्य को अच्छा या बुरा बना सकता है।
आज के लिए इतना ही।
Image:Google
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