सपने कौन नहीं देखता ? हर शख्स के आँखों में एक सपना होता है - कुछ कर दिखाने का। बहुत से ऐसे Lucky Person होंगे, जिनके ऊपर अपने माता-पिता व ईश्वर का आशीर्वाद होता है और जो अपने सपने को पूरा कर पाते हैं। कुछ लोग जीवन में परेशानियों का सामना करते -करते, उनके सपने उनकी खुद की नजर से धुंधले हो जाते हैं। उनके कन्धों पर जिम्मेदारियों का इतना बोझ होता है कि बस उसे निभाने में दिन रात लगे रहते हैं, अपना सपना पूरा करने की उनकी बारी आ ही नहीं पाती। ऐसे भी लोग होते हैं, जो सपना देखने से डरते हैं कि वो ना जाने पूरे हो सकेंगे या फिर नहीं। पर क्या हमें सपना देखना छोड़ देना चाहिए ?
हम मन में अपने कैरियर बनाने का सपना लिए बड़े होते हैं और जब निराशा हाथ लगती है तो मन बहुत परेशान हो जाता है। कैरियर बनाने का सपना सच करने के लिए न सिर्फ कठिन परिश्रम बल्कि अच्छी सूझ -बुझ का होना भी बहुत अनिवार्य है। आगे एक Story पढ़िए, जो इसी तथ्य को दर्शाती है ।
एक बुजुर्ग महिला की सूई खो गई थी। वो उसे रोड लाइट की रौशनी में ढूंढ रही थी। मगर उसके लाख प्रयत्नं करने के बाद भी उसको सूई नहीं मिल पा रही थी। तभी उस रास्ते से गुजर रहे एक युवक ने उस महिला की परेशानी जानकर वो उस महिला की सूई को ढूंढने लगा। देखते -ही -देखते, गाँव के सभी लोग उस महिला की सूई ढूंढने लगे। फिर भी सूई नहीं मिली। थोड़ी देर के बाद एक युवक ने महिला से पूछा," माता जी ! आपकी सूई वैसे गिरी कहाँ थी ? हमें बता दीजिये, ताकि सूई जल्दी मिल जाये।" वृद्ध महिला ने कहा," बेटा ! झोपड़ी के अन्दर गिरी थी।" उस महिला की बात सुन सभी हँसने लगे और बोले," माता जी ! जब सूई झोपडी में गिरी है तो उसे बाहर क्यों ढूंढ रही हो ?" इस पर वृद्ध महिला ने कहा," झोपड़ी में अंधेरा था और बाहर प्रकाश, तो मैं बाहर ढूंढने लगी।"
ये कोई हँसने की बात नहीं है। यही सच्चाई है। हम सभी अपने कैरियर के साथ यही कर रहे हैं। हम सिर्फ यही देखते हैं कि किस फिल्ड में ज्यादा लोग जा रहे हैं ? और कहाँ लोगों की भीड़ लगी है ? हम उसे ही अपने कैरियर का लक्ष्य मान लेते हैं। और प्रयास में अपना जी जान लगा देते हैं। पर क्या यह उचित है ? हम एक ऐसी भीड़ का हिस्सा क्यों बनते हैं, जिसके बारे में ना तो हमें पूर्ण रूप से जानकारी होती है और ना ही हमारी रूचि ? बस यह सोचकर कि फला ने यह जॉब पा लिया है और उसकी सैलरी लाखों में है ! केवल इसी लिए !
मेरे मित्रों , मैं आप सभी से पूछती हूँ कि आपने अपने दिल से कभी पूछा कि आपकी रुचि किस कार्य में है ? आप किस कार्य को करने में ख़ुशी महसूस करते हैं ? क्या आपने कभी अपनी हुनर की तरफ ध्यान दिया है ? नहीं ना ! आप प्लीज ऐसी भीड़ का हिस्सा ना बने। बल्कि उस कैरियर को अपना लक्ष्य बनाये, जिसको आपका दिल, आपकी आत्मा स्वीकारे। दूसरों से Inspiration लीजिये, पर उसको अपनी कमी मत बनाइये।
हमारी सफलता का राज हमारे खुद के हुनर व रुचि में है। मैं यह मानती हूँ कि अपने परिश्रम के दम पर यदि हम अपनी रूचि से अलग क्षेत्र में सफल हो भी जाएँ तो क्या उस कार्य को करने में हम अपना 100 % दे सकेंगे ? शायद नहीं। इस प्रकार क्या हम अपने कौशल और रूचि के साथ समझौता नहीं कर रहे हैं ? आप अपने दिल की आवाज को सुने। Compromise ना करें। जीवन एक बार ही मिलता है, जिसे सही दिशा दें और खुल कर जियें।
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जवाब देंहटाएंधीरेन्द्र जी, आपका आभार...
हटाएंbadhiya likha hai aapne
जवाब देंहटाएंआपने अपना विचार मेरी पोस्ट पर दिया आपका आभार , कमेंट के लिए आभार...
हटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआशुतोष जी आपने अपना विचार मेरी पोस्ट पर दिया आपका आभार ,मुझे खुशी होती है जब आप सभी पाठकों का कमेंट आता है और ये आपके कमेंट ही मुझे और लिखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं,एक बार फिर से आपका आभार...
हटाएंमेरा मानना है बच्चे को क्या पसंद है उसकी रूचि ठीक से जनना जरूरी है ... कई बार बच्चों को खुद नहीं पता होता उसकी रूचि कहाँ है और एक बार करिअर बनाने का समय निकल गया तो फिर नुकसान ही होता है ....
जवाब देंहटाएंआपने अपना विचार दिया ,आपका दिल से शुक्रिया...
हटाएंभीड़-चाल में बच्चे वही करियर अपनाते हैं, जो वो अपने आस-पास देखते हैं, माता-पिता भी इस चीज़ का बिल्कुल ध्यान नही रखते कि बच्चे की अभिरुचि किस दिशा में है..बेहतरीन आलेख..
जवाब देंहटाएंमेरी कोशिश आप सभी को पसंद आती है ,इसका श्रेय आप सभी को जाता है,आपके विचार ही हैं,जो मुझे प्रोत्साहित करते हैं जिससे मैं कुछ लिख पाती हूँ, आपका हृदय से आभार ....
हटाएंरश्मि जी अपने बिलकुल सही कहा है आज हम अपने सपनो को अनदेखा कर रहे है और हम उस कम के पीछे भागते है जो हमारे लिए बना ही नही है कही न कही और कभी न कभी हम इस बात का अहसास जरुर होता है की जो कम कर करहे उसमे हमरी खुशी नही है असली खुशी खुशी तो हमारे सपने में थी.
जवाब देंहटाएंलेकिन ये भी एक सच्चाई है रश्मि जी, जिंदगी की इस भाग दोड़ और अपनी जिम्मे दारियो के कर्ण कब हम अपने सपने को भूल जाते है पता ही नही चलता.........
बताने को तो बहुत कुछ है रश्मि जी मेरे सामने सच्चे उधारण...... फिर कभी
धन्यवाद
आपके विचार मेरे पोस्ट के लिए बहुमूल्य है, आगे भी मुझे आपके कमेंट का इंतजार रहेगा,कमेंट के लिए आपका धन्यवाद...
हटाएंVery nice post Rashmi ji
जवाब देंहटाएंBadhtechalo.com
आपको मेरी कोशिश पसंद करने के लिए ,आपका आभार,विचार के लिए शुक्रिया .....
हटाएंVery nice post Rashmi ji
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dhanyad...
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