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शनिवार, 14 मई 2016

तलाक़

Talak in Hindi

जीवन में हम सभी रोज किसी न किसी उलझनों से घिरे रहते हैं। कुछ उलझन तो बिन बुलाये आ जाते हैं ,और कुछ हमारे द्वारा निमंत्रण देने पर आते हैं, जिसके लिए हम खुद जिम्मेदार होते हैं।

एक वो भी दौर हुआ करता था, जब शादी हो जाने के बाद पति -पत्नी एक दूसरे के ऊपर अपना सारा जीवन न्योछावर कर देते थे। एक दूसरे की भावनाओं का  सम्मान करते थे व एक दूसरे में अपनी पूरी दुनियाँ समझकर जीवन जीते चले जाते थे। हमने कभी भी ये नहीं सुना होगा कि दादा -दादी में नहीं निभी तो उन लोगों ने तलाक ले लिया। या फिर ताऊ जी, जो ज्यादा बड़ी माँ पर गुस्सा करते थे, तो ताई जी ने अलग होने का निर्णय ले लिया। ऐसा तो हमने अपने माता -पिता के साथ भी नहीं देखा। पर आजकल की पीढ़ी ,जो जरा सी परेशानी की हवा क्या चली एक दूसरे का मुँह तक नहीं देखना चाहते। थोड़ी सी ऊंच -नीच होने पर उनको एक मिनट भी नहीं लगता- अलग होने का फैसला लेने में। सच कितनी मॉडर्न हो गई है आज कल की  पीढ़ी !

जिनमें रिश्तों को समझने व उनकी कद्र करने की क्षमता ही नहीं है, उनको ये नहीं समझ आता कि जो रिश्ते  जीवन भर के लिए जुड़ते हैं, उनको निभाने के लिए हमने कितने सार्थक कदम बढ़ाए। वो ये नहीं समझते कि जिनको छोड़कर हम नई  दुनियाँ बसाने की सोच रहे हैं, क्या उन रिश्तों को निभाने में कोई परेशानी सामने नहीं आएगी ?


एक ऐसे ही मॉडर्न ज़माने की पीढ़ी की स्टोरी है स्वीटी और रॉकी की।

स्वीटी और रॉकी एक ही ऑफिस में कार्यरत थे। फिर दोनों में दोस्ती हो गई ,एक दूसरे के साथ बिताया समय उन दोनों का सबसे अच्छा समय होता था। फिर दोनों ने पूरा जीवन साथ  बीतने का निर्णय ले लिया और अपने माता -पिता की सहमति से विवाह कर लिया और  दाम्पत्य जीवन की शुरूवात की। कुछ दिनों तक सबकुछ ठीक चलता रहा पर जैसे- जैसे दिन महीने में तब्दील हुए। दोनों में छोटी -छोटी बातों पर नोक झोक शुरू हो गई । रॉकी की कुछ  आदतें स्वीटी को नागवार गुजरती थीं। रॉकी जो अपनी दुनियाँ का खुद को राजकुमार समझता था अपनी आदतों को बदलनें को कतई तैयार नहीं था।

बिना बात के स्वीटी से उलझ जाता था। आये दिन घर का यही माहौल बना रहता था। आखिर एक दिन दोनों ने अलग होने का फैसला  ले लिया और फैमिली कोर्ट में पहुंचे। वहाँ उन दोनों के आरोपों को सुना गया व तारीख  दे दी गई ,अगली तारीख पर फिर से तारीख। ये सिलसिला लगातार चलता रहा।

अब तो तलाक की अर्जी दिए 40 साल बीत गए ,मगर केस  का कोई फैसला  नहीं हुआ ,3 मई का दिन था रॉकी और स्वीटी अब काले बाल से सफ़ेद बालों में आ गए थे व उनके चेहरे पर बढ़ती उम्र की लकीरें आ चुकी थी। फिर जज साहिबा ने दोनों से पूछा कि ये आपका आखिरी फैसला  है, आप दोनों को तलाक लेना है। तो रॉकी और स्वीटी ने एक दूसरे की आँखों में देखकर बोले जज साहिबा इस उम्र के मुकाम पर तलाक लेकर क्या करेंगे ?हमने तो जीवन के सारे अच्छे पल लड़ाई- झगड़े व कोर्ट कचहरी के चक़्कर काटते हुए बिता दिये। जीवन तो अब बचा ही कहाँ है जो जियेंगे, पर मौत आनी अभी बाकि है हम अपना आखिरी समय साथ -साथ अपने अहम की वजह से जी तो नहीं सके ,पर साथ -साथ मरना  चाहते हैं।

हमें नहीं चाहिए तलाक, हमें अहसास हो गया हो कि जिंदगी निभाने व सामंजस्य का नाम है ,रिश्तों को हमें संजो कर रखना चाहिए और बिखरने से बचाना हमारा अपना उत्तरदायित्व होता है।

सही बात है हमारे भीतर सहने की शक्ति ही नहीं बची है। जो थोड़ी सी बातों खुद ही इतना बड़ा बना लेते हैं कि अब हमें लगने लगता है कि अब उसे ठीक ही  नहीं किया जा सकता है पर  अपने अंतर्मन से एक बार पूछकर जरूर देखिये कि क्या हमने इसे ठीक करने में एक भी सार्थक कदम उठाये हैं  ? 

Image-Google

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