अपनी बुद्धि का इस्तेमाल न करके अपने कर्म को परिणाम में परिणत न करने वाले व्यक्ति खुद अपने साथ न्याय नहीं करते। हम सदैव ही दूसरों से अपेक्षायें करते रहतें हैं कि दूसरा व्यक्ति हमारा सम्मान नहीं करता। पर कभी हमने खुद के अंतर्मन में झाँक कर कभी देखा है कि क्या हम खुद के साथ हम न्याय करते हैं ? हमें सबसे पहले खुद का सम्मान करना सीखना होगा और बाद में हम दूसरें लोगों से उम्मीद करेंगे।
बहुत से ऐसे लोग हैं, जो दूसरों की गलत बातों को जानते हुए भी सहन करते जाते हैं। उनका विरोध नहीं करते। खुद की गलती न होने पर भी खुद को कुसूरवार समझने लगते हैं। और बस मन में सोचते रहते हैं कि कोई क्यों मेरा सम्मान नहीं करता ? मैं कहती हूँ कि जब तक उस व्यक्ति को अहसास नहीं दिलायेंगे तो वो अपनी गलतियों का अहसास कैसे कर पायेगा ? कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो सम्मान पाने योग्य कार्य कभी नहीं करते मगर सम्मान पाने के इक्षुक होते हैं। ऐसे लोगो से मैं कहना चाहती हूँ कि उन दुर्व्यवहारों और दुष्विचारों को खुद से दूर रखिये, जो हमारे सुन्दर व्यक्तित्व को दूषित करते हैं।
एक गाँव में भोला नाम का एक व्यक्ति रहता था। वो बुद्धि-चातुर्य से भी भोला था। उसके इसी भोलेपन का लोग हमेशा ही फायदा उठाया करते थे। उसकी एक किराने की दुकान थी। अक्सर लोग सामान खरीद कर उसे खोटे सिक्के दे दिया करते थे।कभी -कभी तो लोग बिना पैसे दिए चले जाया करते थे। भोला कभी कुछ नहीं कहता था। सबके खोटे सिक्के जमा करते जाता था। उम्र के एक पड़ाव में जब वह बूढ़ा हो गया तो पैसे की तंगी की वजह से स्वयं का इलाज भी नहीं करवा पा रहा था। उसने सभी से मदद मांगी। सभी लोगो ने उसके बीमारी का भी मजाक बना दिया। किसी ने भी उसकी मदद नहीं की।
भोला सोचने लगा कि मैं बुद्धिमान हो कर भी मूर्खों की पंक्ति का हिस्सा क्यों बनता रहा ? मैंने खोटे सिक्के लेने से इन्कार क्यों नही किया ? भोला को बहुत आत्मग्लानि हुई और खुद पर गुस्सा भी आया। उसने ईश्वर को याद किया और कहा कि मैंने सभी के खोटे सिक्कों को खरा समझ कर अपनाता रहा मगर क्या आप मेरे जैसे खोटे सिक्के को अपनाएंगे ? और फूट-फूट कर रोने लगा। यही सच्चाई है।
यदि हम स्वयं के विषय में नहीं सोचते, खुद का सम्मान नहीं करते तो , हमें दूसरों से भी सम्मान की अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए। इसलिए खुद से प्यार करना सीखिये और अपनी कद्र करिये।
Image-Google
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समय निकल जाने के बाद सोचने से क्या फायदा, समय रहते ही आदमी को संभल जाना चाहिए नहीं तो जो हाल भोला का हुआ वही हाल उस जैसे लोगों का होगा। आपका पोस्ट शानदार है, उम्मीद करता हूं कि पोस्ट पढ़कर भोला जैसे लोग उससे सबक जरूर लेंगे।
जवाब देंहटाएंआपकी सोच के लिए धन्यवाद
हटाएंAgar hum apni buddhi ka istemal na karen, to hamari halat bhi bhola jaisi ho jayegi.
जवाब देंहटाएंआपकी बात से मैं सहमत हूँ
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