मैं कोई राइटर नहीं हूँ और मुझे बहुत बड़ी -बड़ी बातें भी नहीं करनी आती है। मगर इतना मेरे मन में जरूर चलता रहता है कि जब हम निराश होतें हैं या किसी कार्य को नहीं कर पाते है और हमें जब असफलता का सामना करना पड़ता है, तो हमें याद आते है- भगवान ,खुदा या गॉड या हम जिस भी धर्म को मानते है, उस प्रभु की । और हम जुट जाते है, उन तमाम कार्यो में, जैसे कि चादर चढ़ाना,धागे बांधना ,नारियल चढ़ाना, कैंडल जलाना इत्यादि। क्या इन सभी कार्यों को करने से हमें वो सफलता मिल जाती है ? शायद हाँ ,या नहीं भी। मै नास्तिक नहीं हूँ, मगर ईश्वर पर अँधा विश्वास नहीं करती। मै ये नहीं जानती कि ईश्वर होते है या नहीं। मगर कोई शक्ति जरूर होती है ,जो हमारे आस -पास ही रहती है, जिसके द्वारा सृष्टी का संचालन होता है।
हमें अपने कार्यों को करने की जो शक्ति मिलती है, शायद हम उसी शक्ति को पूजते है। मगर क्या वो शक्ति बड़े -बड़े चढ़ावे मांगती है ? लोग मंदिरों,मस्जिदों ,गिरजाघरों में जातें हैं, उसी राह में न जानें कितने जरुरतमंद बैठे रहते है और हम उन्हें अनदेखा करके उन मंदिरों में महँगे-महँगे चढ़ावे चढ़ाते है। मगर जो लोग हाथों को फैलाये हमसे माँगते है, उनका हमें ख्याल नहीं आता। बस यही याद रहता है कि हमारा चढ़ावा जितना बेस्ट होगा , मन्नत उतनी ही जल्दी पूरी होगी।
कुछ दिन पहले की बात है ,मैंने न्यूज में देखा था कि एक दंपत्ति ने एक करोड़ का हीरों से जड़ा मुकुट तिरुपति बाला जी को भेंट किया था। मैं किसी की आस्था पर कोई संदेह तो नहीं करती, मगर मैं इतना कहना चाहती हूँ कि जिस ईश्वर ने आपको इतना काबिल बनाया कि आप करोड़ रूपये भेंट चढ़ा सकें, उसी ईश्वर के बनाये इंसानो के प्रति प्रेम क्यों नहीं है ? मैं किसी की आस्था को ठेस नहीं पहुँचाना चाहती हूँ। मगर बहुत से ऐसे जरुरतमंद बच्चे हैं, जिनके सिर पर उनके माता-पिता का हाथ भी नहीं होता है, जो अपनी जीविका चलाने में असमर्थ हैं। इन पैसों से उन बच्चों के भविष्य को सँवारने में मदद की जा सकती है।
कितने ऐसे माता -पिता हैं , जिनकी आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह से वे अपनी बेटी की शादी नहीं कर पाते हैं। हम सभी लोगों ने ऐसे लोगों को देखा होगा, जो दो वख्त कि रोटी जुटा नहीं पाते। अगर हम उन लोगों की मदद करे ,तो यही चढ़ावा हमारे ईश्वर को बेस्ट लगेगा। कोई प्रभु और कहीं नहीं होता , वह हम सभी के अंदर ही होता है। जब कभी भी प्रभु को धन्यवाद करे, तो शुरुवात उन लोगों से करें, जिनको सच में हमारे मदद की जरूरत है। क्योंकि , हो सकता है की हमारी थोड़ी सी मदद उनके जीवन को कुछ आसान बना दे ,कुछ पल की ख़ुशी उनके भी होठों पर आ जाये। आज के लिए बस इतना ही, धन्यवाद !
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Sach me..sachchee aastha yahi hai, aur ham sabhi ko is baat ko samajhana chahiye..
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
हटाएंbahut hi sundar or shandar likha hai aapne
जवाब देंहटाएंहौसला अफजाई के लिए धन्यवाद ..
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