जब हम छोटे होते है, तो हम सभी के मन में कुछ बड़ा कर दिखाने के सपने होतें है। मुझे याद है, जब मैं विद्यालय की शिक्षिका थी, जिसमे नन्हे -नन्हे बच्चे पढ़ते थे, वहां उन बच्चों से सवाल करने पर ,इन्ही बच्चों में कोई डॉक्टर,तो कोई इंजिनियर, कोई साइंटिस्ट,कोई पुलिस बनना चाहता था। वो नन्हे बच्चे सपने देख सकते है, क्योकि उन्हें वास्तविक दुनिया का ज्ञान नहीं होता ,कि बड़ा होना तो आसान है मगर नाम कमाना बहुत ही मुश्किल।
हमारे देश में शिक्षा का स्तर को बहुत ही ऊँचा हो गया है, मगर उस शिक्षा को हासिल कर लेने के बाद काबिल हुए नवयुवक और नवयुवतिओं को उनके लायक कोई स्थान नहीं मिल पाता। न जाने कितने काबिल और पढ़े लिखे लोग हैं ,जिनको उनकी काबीलियत का स्थान नहीं मिल पाने की वजह से वे बेरोज़गार घूम रहे हैं। लोग वेल एजुकेटेड होकर दुकान पर बैठने को मजबूर हैं , खुद का व्यवसाय मजबूरी में करते हैं।
हमारा देश उन्हें शिक्षित बना तो देता है मगर शिक्षित कर देने के बाद उन्हें वो प्लेटफार्म नहीं मिल पाता , जिनकी उन्हें ख़्वाहिश होती है। लोगों के पास डिग्रीओं से भरी फाइल तो होती है ,मगर एक भी नौकरी नहीं होती , जिससे वो अपने घर को चला सकें। बेरोज़गारी इतनी ज्यादे बढ़ गयी है कि लोगों की मजबूरी का फायदा न जाने कितनी कंपनियाँ उठाती हैं और वो अपना शोषण कराने को मजबूर होते हैं।
यही वजह है कि हमारे देश की नई पीढ़ी अपने देश में कुछ करने से बेहतर विदेश में जॉब तलाशती है और वहीँ पर बस जाती है , क्योंकि वहां पर ज्ञान की कद्र है, डिग्रीओं की इज्जत की जाती है। वो हमें अवसर प्रदान करते हैं। शायद आपको मेरे ये शब्द चुभने वाले लगे होंगे, मगर दुर्भाग्यवश मुझे यह कहना पड़ रहा है कि हमारे देश की यही वास्तविकता है। क्योंकि यहाँ आरक्षण के नाम पर क़ाबिलियत को छुपा दिया जाता है।
एक मेरे मित्र ,जो बचपन से ही बहुत बुद्धिमान थे, उनकी रैंक हमेशा 97 -98 % के करीब आती थी। उन्होंने इंजीनियरिंग भी 94 % से पास की, M .Tech . के बाद बेरोजगार घूम रहे है। न जाने कितने ही इंटरव्यू दे चुके हैं । उपयुक्त अवसर न मिलने के कारण वो वाराणसी में कपड़ों की दूकान चला रहे हैं। ऐसे न जाने कितने ही युवा होंगे जो अपनी इच्छाओं को मारकर , उनका गला घोंटकर वह कार्य करने को मजबूर हो जाते हैं , जो न उन्हें आता है और न वो डिज़र्व करते हैं।
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Aaj ke samay ki sachi tasweer hai ..
जवाब देंहटाएंआपकी राय के लिए धन्यवाद..
हटाएंaaj ka to bas yhi rona hai
जवाब देंहटाएंआपकी राय के लिए धन्यवाद..
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