आज मैं जब सुबह उठी तो मैंने देखा कि एक महिला अपने बच्चे को साथ लिए गेट पर खड़ी है, खाने के लिए कुछ मांग रही है ,और वह भजन भी गा रही थी। उसका बच्चा जिसके हाथ में एक कटोरा था और उससे वो गाने की धुन निकाल रहा था। यकीन मानिये उस धुन को सुन कर ऐसा लग रहा था, जैसे की उन्होंने किसी संगीत में महारत गुरुओं से शिक्षा ली है। उनके पास सभी खिचे चले आ रहे थे, बहुत भीड़ लग गई थी। उस दिन मुझे ये लगा की हुनर कही भी किसी का हो सकता है।
जब अपने हुनर को पहचान कर हम उसे निखार लेते है, तो यही हुनर हमारी पहचान बन जाता है। न जाने कितनी ही गृहणियाँ होंगी जिनके अंदर अदभुत गुण भरे पड़े हैं , मगर उन्हें कोई प्लेटफार्म नहीं मिल पाता। कभी-कभी अपने हुनर से वो खुद भी अनजान रहती है।
आज मैं आप को एक क्रिस्चियन महिला के बारे में बताना चाहती हूँ। एक ऐसा परिवार, जिसमें पति -पत्नी और एक बच्ची थी । वो आर्थिक रूप से कमजोर थे। पति का स्वास्थ्य भी ख़राब रहता था। इलाज न हो पाने के कारण एक दिन उस महिला के पति का देहांत हो गया। अब माँ के ऊपर बेटी के परवरिश की जिम्मेदारी आ गई। उसने सोचा,मुझे सिलाई आती है क्यों न मैं लोगो के लिए कपडे सिलुँ। इससे घर का खर्चा भी चल जायेगा। उसने सिलाई करनी शुरू कर दी, और धीरे-धीरे घर की हालात में सुधार आने लगा।
बरसों बीत गए, बेटी भी बड़ी हो गई ,लेकिन अब बेटी को माँ के काम को दूसरों को बताने में शर्म महसूस होता था। वह अपनी माँ को हमेशा दर्ज़ी का काम करने से मना करती थी। एक दिन बेटी को अपने मित्र के रिंग सेरेमनी में जाना था और उसकी माँ को भी जाना था। बेटी ने माँ से कहा," हम बड़े -बड़े लोगों के बीच कैसे जाएंगे, हमारे पास तो ढंग के कपडे भी नहीं है। " माँ ने कहा," मैं बाजार से हम दोनों के लिए कपडे ले आउंगी।" माँ पुराने बाजार से एक नेट की फ्राक खरीद कर ले आई। और उसने घर पर बैठ कर ही उसे एक नए फैशन के हिसाब से ड्रेस बना दी। जिसे देख कर बेटी बहुत खुश हुई। उसने कहा,"माँ इतनी महंगी ड्र्रेस क्यों ले आई ?"
फिर शाम की पार्टी में दोनों पार्टी में गए। जिसने भी बेटी के ड्र्रेस को देखा, कपड़ो की बहुत तारीफ़ की। तभी दुल्हन उसके पास आई और उसने कहा ,"तुम्हारी ड्रेस मुझे मेरे फ्रॉक की याद दिलाती है , जिसका रंग और डिज़ाइन मुझे बिलकुल पसंद नहीं था , ठीक इसी कलर की थी। मैंने कभी सोचा नहीं था कि इस कलर की ड्रेस इतनी खूबसूरत हो सकती है। कहाँ से खरीदी तुम ने ? बेटी ने कहा, "मेरी माँ इसे बाजार से लेकर आई है। " फिर माँ को देखकर वो मुस्कुराई। माँ ने बेटी को बेहद खुश देखकर संतोष भरी सांस ली और मुस्कुरा दिया , क्योंकि वह यह बात जानती थी कि ड्रेस उनकी ही है व उसे पुराने बाजार से ले कर आई थी।
सच , हुनर कमाल का है , हमेशा ही तारीफ़ के काबिल हमें बनाता है। कभी कुछ भी सीखा हुआ जाया नहीं जाता। सदैव ही हमारे काम आता है। हमें निरंतर कुछ न कुछ सीखते रहना चाहिए। हमारा हुनर ही कभी-कभी हमारी शख्सियत का आइना बन जाता है।
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Bahut badiya lekhan hai,ye hame protsahit karta hai ki hum apne hunar ko pehchane aur uski kadr kare..
जवाब देंहटाएंकॉमेंट के लिए धन्यवाद!
हटाएंjiske pas hunar hai, zindagi me use kabhi bhi asfalata ka samna nhi karna padata.
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